रह रह कर उस बेवफा की याद आती है उसके वादों को सोचता हूं तो यकीन नहीं होता खुश रखने को उसको कर्ज इतना ज्यादा किया जिंदगी मेरी तबाह हो गई
बदले हुए इरादे से हैरान हूं आखिर वह कसमे वादे कहां खो गए मोहब्बत की पनाहों में अच्छी जिंदगी की ख्वाहिश थी मैं तन्हाई के समंदर में डूब कर रह गया हूं गलतफहमी से प्यार भरी मुस्कान झूठे वादों पर भरोसा हो गया जब सब कुछ लूट कर चली गई तब एहसास हुआ मेरे साथ धोखा हो गया